एनटीपीसी, भारत का सबसे बड़ा ऊर्जा समूह है जिसकी नींव भारत में विद्युत विकास में तेजी लाने के लिए वर्ष 1975 में रखी गई थी। तब से, इसने विद्युत उत्पादन व्यवसाय की संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में उपस्थिति के साथ स्वयं को लगभग 68 गीगावाट की क्षमता के साथ प्रमुख विद्युत संस्था के रूप में स्थापित किया है। इसने जीवाश्म ईंधन से लेकर हाइड्रो, नाभिकीय और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के माध्यम से विद्युत उत्पादन करने की शुरुआत की है।
अपने मुख्य व्यवसाय को सुदृढ़ करने और विश्वसनीय ईंधन सुरक्षा की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए, एनटीपीसी ने कोयला खनन के क्षेत्र में भी प्रवेश किया। एनटीपीसी कोयले की कैप्टिव खपत के लिए इसे सीधे आबंटित किए गए 6 कोयला ब्लॉक और झारखंड सरकार के साथ एनटीपीसी के संयुक्त उद्यम पीवीयूएनएल के एक कोयला ब्लॉक का विकास कर रहा है। एनटीपीसी के लगभग 15 गीगावाट को ईंधन प्रदान करने के लिए इन कोयला ब्लॉकों की कुल उच्चतम रेटेड वार्षिक उत्पादन क्षमता 71 एमएमटी होने का अनुमान है।
एनटीपीसी ने अपने तीन कोयला ब्लॉकों अर्थात् झारखंड में पाकड़ी बाड़वडीह, ओडिशा में दुलंगा और छत्तीसगढ़ में तलाईपल्ली से कोयला उत्पादन शुरू कर दिया है। एनटीपीसी ने अपनी दो खदानों नामतः पाकड़ी बाड़वडीह और दुलंगा कोयला ब्लॉक के वाणिज्यिक प्रचालन की घोषणा की है। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान, एनटीपीसी ने अपनी तीन प्रचालनात्मक खदानों से 14.02 एमएमटी कोयला उत्पादन प्राप्त किया। चट्टी बरियातू खदान में खनन कार्य अप्रैल 2022 में शुरू हुआ था। अन्य खदानें विकास के चरण में हैं और निकट भविष्य में इनसे कोयला उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है।
एनटीपीसी ने केंद्रित दृष्टिकोण के साथ एक समर्पित कार्यबल बनाकर अपने खनन व्यवसाय की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 29 अगस्त, 2019 को "एनटीपीसी माइनिंग लिमिटेड" (एनएमएल) नामक एक पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी का निगमन किया।
क्र.सं. | कोयला ब्लॉक | स्थान | शीर्ष रेटेड क्षमता (एमएमटीपीए) | अंतिम उपयोग वाले संयंत्र |
1. | पाकड़ी- बाड़वडीह | नार्थ कर्णपुरा कोयला क्षेत्र, झारखंड | 18 | बास्केट माइन |
2. | दुलंगा | IV वैली, जिला सुंदरगढ़, ओडिशा | 7 | दर्लीपल्ली |
3. | तलाईपल्ली | जिला रायगढ़, छत्तीसगढ़ | 18 | लारा |
4. | केरंदरी | नार्थ कर्णपुरा कोयला क्षेत्र, झारखंड | 6 | टांडा-II |
5. | चट्टी-बरियातु | 7 | बाढ़-II | |
6. | बादाम | 3 | बरौनी | |
7. | बनहरडीह* | जिला लातेहार, झारखंड | 12 | पतरातू थर्मल पावर प्लांट |
वित्त वर्ष 2021-22 में 14.02 मिलियन मीट्रिक टन के कोयला उत्पादन की उपलब्धि के साथ एक सफल वर्ष पूरा करने के बाद, वित्त वर्ष 2020-21 से 36% की वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि दर्ज करते हुए, एनटीपीसी कोल माइनिंग ने इस वर्ष के कोयला उत्पादन को उच्च स्तर पर शुरू किया है। तीन प्रचालनात्मक कोयला खदानें अर्थात पाकड़ी बाड़वडीह (झारखंड), दुलंगा (ओडिशा) और तलाईपल्ली (छत्तीसगढ़) ने 16 लाख टन की इस उल्लेखनीय उपलब्धि को हासिल करने में योगदान दिया है, जो कोयला उत्पादन शुरू होने के बाद से एक माह के लिए अब तक का सबसे अधिक कोयला उत्पादन है। मई 2022 में, पाकड़ी बाड़वडीह में, सबसे अग्रणी प्रदर्शन करते हुए, कोयला खदान ने शुरुआत से एक माह के लिए अब तक का सबसे अधिक 10 लाख टन कोयला उत्पादन हासिल किया गया है।
एनटीपीसी की कोयला खनन यात्रा में बहुत सी कठिनाइयां सामने आई हैं, चाहे वह भूमि अधिग्रहण हो, पुनर्वास और पुनर्स्थापन हो, कोविड-19 महामारी का अनिश्चित दौर हो या स्थानीय ग्रामीणों द्वारा आंदोलन के कारण उत्पादन में कमी हो, जिनसे कोयला उत्पादन लक्ष्यों की उपलब्धि में बाधा उत्पन्न हुई। हालाँकि, दृढ़ नेतृत्व, लचीले कार्यबल, जिला और राज्य प्रशासन के समर्थन से वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में इस वित्त वर्ष 2022-23 के पिछले दो माहों में वर्ष-दर-वर्ष 43% की वृद्धि हासिल हुई है। केवल मई, 2022 में ही वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि मई, 2021 की तुलना में 81% है।
एनटीपीसी में कोयले के उत्पादन से पहले सुरक्षा को स्थान दिया जाता है। यह एनटीपीसी कोल माइनिंग टीम की सभी परियोजनाओं का सिद्धांत है। खदान सुरक्षा महानिदेशालय (डीजीएमएस) के दिशानिर्देशों के अनुसार, एनटीपीसी ने अपनी सभी कोयला खदानों के लिए सुरक्षा प्रबंधन योजना (एसएमपी) तैयार और कार्यान्वित की है। एक अनूठी पहल के रूप में, एनटीपीसी द्वारा आंतरिक रूप से एसएमपी (ई-एसएमपी) का डिजिटलीकरण किया गया है और इसकी प्रचालनात्मक खदानों में इसे सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया गया है। एनटीपीसी कोल माइनिंग के प्रबंधन ने सभी कार्यक्षेत्रों में क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने के लिए सुरक्षा, खनन, उपकरण प्रचालन और अनुरक्षण आदि में सर्वोत्तम परिपाटियों के संबंध में जुलाई, 2021 से प्रत्येक सप्ताह कम से कम एक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने का संकल्प लिया है।
पर्यावरणीय हानि को समाप्त करने के प्रयासों में, कार्य क्षेत्रों में धूल शमन और जल छिड़काव प्रणालियां संस्थापित की गई हैं। उत्सर्जन, एसओएक्स (SOx), एनओएक्स (NOx), सूक्ष्म कण आदि की निरंतर निगरानी की जा रही है और सभी उपलब्ध अवसरों पर वृक्षारोपण किया जा रहा है। इन खदानों में डीजल-चालित एचईएमएम के स्थान पर विद्युत-चालित एचईएमएम का उपयोग किया जाना शुरू कर दिया गया है।
बेंजामिन फ्रैंकलिन के शब्दों - ज्ञान में किए गए निवेश का ब्याज सर्वोत्तम होता है - के अनुसरण में, एनटीपीसी कोयला खनन परियोजना से प्रभावित व्यक्तियों को रोजगार योग्य बनाने के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है। एनटीपीसी पाकड़ी-बाड़वडीह ने झारखंड सरकार मिनी टूल रूम एंड ट्रेनिंग सेंटर (जेजीएमटीआरटीसी) के माध्यम से पाकड़ी-बाड़वडीह खदान क्षेत्र में स्थापित एनटीपीसी खनन औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (एमएआईटीआई) के संचालन के लिए झारखंड सरकार के साथ करार किया है।
पिछड़े एकीकरण के एक भाग के रूप में, एनटीपीसी ने कोयला खनन क्षेत्र में प्रवेश किया, और अब तक इसकी प्रचालनात्मक खदानों ने एनटीपीसी के 22 से अधिक ताप संयंत्रों को 48 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक कोयले की आपूर्ति की है। इसकी निरंतर गुणवत्ता, आकार और किसी भी शेल/बोल्डर आदि की अनुपस्थिति के कारण एनटीपीसी पावर स्टेशनों में कैप्टिव कोयला खदानों से कोयले की बहुत मांग है। अब तक, एनटीपीसी कोल माइनिंग ने सभी बाधाओं के बावजूद प्रदर्शन किया है तथा हितधारकों को सस्ती और निर्बाध विद्युत की प्रदायगी के लिए अपने बिजली संयंत्रों को सतत कोयला आपूर्ति सुनिश्चित करना जारी रखेगा।
एनटीपीसी की कैप्टिव खदानों से विगत में कोयला उत्पादन: संक्षिप्त में (एमएमटी में):